केंद्रीय आयुर्वेद एवं सिद्ध अनुसंधान परिषद

रस-मंजूषा : वैधराज श्री द्वारका त्रिपाठी विरचित (लोक भाषा ) - नई दिल्ली केंद्रीय आयुर्वेद एवं सिद्ध अनुसंधान परिषद 2005 - xvii, 107p.

प्रस्तुत पुस्तक श्री द्वारका त्रिपाठी द्वारा चिकित्सा के अनेक संग्रह ग्रन्थ ओसे योग संग्रह करके व्ल्चल की भाषा मे लिखी गयी है | पुस्तक के प्रारंभ मे स्वय्म्लेखाक ने इसका उल्लेख भी किया है | पुस्तक 9 विलासों मे पूरी की गयी है | प्रथम विलास मे नाडी परीक्षा एवं अंतिम विलास मे धातु-रस-म्हारासो विषोपविष, खनिज एवं मुक्त, शंख प्रवालादि के शोधन मारण का वर्णन है | बीच के विलासो मे अन्य संग्रह ग्रन्थो तथा चरक, सुश्रुतादि के चिकित्सा स्थान मे दिय गए रोगों के अनरूप अनुभैक योगो का वर्णन किया है | एक- एक विलास के कई रोग साथ ले लिए है | योगो मे रस योग विशेष रूप से लिए है तथा खुच चूर्ण, क्वाथ एवं गुटीकाओ का भी वर्णन है | अनेक प्रकार की गुग्गुल एवं महाशंख वटी जैसे योग भी दिय है |
प्रस्तुत पुस्तक मे रोगों की चिकित्सा के साथ, प्रयोग किये जाने वाले योगो के निर्माण की प्रक्रिया भी बताई है, तथा धातु, विष, उपरस, महारास आदि के साथ खनिजो के शोधन, मारण एवं गुण कर्मो का भी वर्णन किया गया है |


आयुष - आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिध्द और होम्योपैथी विभाग
मंगलाचरण
नाड़ी परीक्षा
नाड़ी भेद
ज्वर प्रकरण

615.3-035.27 / के 27 र