000 | 03510nam a22002297a 4500 | ||
---|---|---|---|
005 | 20231026114729.0 | ||
008 | 221208b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9789389719796 | ||
082 |
_a502.1:630:633.88 _bबो 64 व |
||
100 | _aसंयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन | ||
245 | _aवन संरक्षण तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिए औषधीय पादप | ||
260 |
_aनई दिल्ली _bदया पब्लिशिंग हाउस _c2021 |
||
300 | _aiv,135p. | ||
500 | _aविश्व खाघ संगठन के आंकलन के अनुसार विकासशील देशो के ८० प्रतिशत लोग परम्परागत दवाओ पर निर्भर है | आधुनिक दवाईयों मे भी २५ प्रतिशत दवाईया औषधीय पादपो से बनाई जाती है| औषधीय पादपो की मांग विकासशील तथा विकसित देशो मे बड रही है | ये पादप उगाए कम जाते है और वन भूमियो मे अधिक होते है | इसमें से कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा हो गया है | इस पुस्तक मे औषधीय पादपो के खुच विशेषज्ञों के विचारो को समेकित करने का प्रयास किया गया है| इससे परम्परागत तथा आधुनिक चिकित्सा पध्तियो के पादपो के महत्व का पता चलता है, साथ ही पादपो के प्रबंधन, फसलीकरण, प्रक्रमण, वाणिज्यिक समस्यायों आदि के बारे मे जानकारी मिलती है | यह पुस्तक केवल वानिको के लिए ही नहीं वरन ग्रामीण विकास कार्यकर्ताओ, निति निर्धारको तथा परम्परागत औषधीय पर आश्रित रहने वाले के लिए उपयोगी सिद्ध होगी| इस पुस्तक से औषधीय पादपो के बारे मे जानकारी मिलेगी और उनके संरक्षण के महत्व को नये आयाम प्राप्त होंगे | वर्तमान अध्ययन, परम्परागत विश्व व्यापी पद्धति तथा एफ. ए. औ. की पहल पर किया गया है इससे कई विशेषज्ञों के अनुभवों की सहमति किया गया है | | ||
650 | _aवन संरक्षण | ||
650 | _aस्वास्थ्य रक्षा | ||
650 | _aऔषधीय पादप | ||
700 | _aबोडेकर, जेराई | ||
700 | _aभट्ट, के. के. एस. | ||
700 | _aवान्टोमे, पॉल | ||
942 | _cBK | ||
999 |
_c11316 _d11316 |