000 04178nam a22002057a 4500
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020 _a9789383963638
082 _a94:37(540)
_bसि 48 भा
100 _aसिंह, तृप्ती
245 _aभारतीय शिक्षा का इतिहास
260 _aनई दिल्ली
_bप्रशान्त बुक डिस्ट्रीब्यूटर
_c2021
300 _av, 232p.
500 _aशिक्षा, समाज की एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है | इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप मे काम करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने म. महतवपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाये रखती है | बच्चा शिक्षा का इतिहास भारतीय सभ्यता का भी इतिहास है | भारतीय समाज के विकास और उसमे होने वाले परिवर्तनों की रूपरेखा म. शिक्षा की जगह और उसकी भूमिका को भी निरंतर विकासशील पाते है | सुत्रकाल तथा लोकायत के बिच शिक्षा की सार्वजानिक प्रणाली क पश्चात हम बौद्धकालीन शिक्षा को निरंतर भौतिक तथा सामाजिक पर्तिबध्द्ता से परिपूर्ण होते देखते है | बौद्धकाल मे स्त्रियो और शुद्रो को भी की मुख्य धारा मे सम्मिलित किया गया | प्राचीन भारत मे जिस शिक्षा व्यवस्था का निर्माण किया गया था वेह सम्कालिने विश्व की शिक्षा व्यवस्था से समुन्नत v उत्क्रिस्ट थी लकिन कालान्तर मे भारतीय शिक्षा का व्यवस्था हरास हुआ | विदेशियों ने यहाँ की शिक्षा व्यवस्था को उस अनुपात मे विकसित नही किया, जिस अनुपात मे होना चाहिए था | अपने संक्रमण काल मे भारतीय शिक्षा को कई चुनौतियों व समस्याओ का सामना करना पड़ा | आज भी ये चुनौतियों व समस्याय हमारे सामने है जनसे दो-दो हाथ करना है | 1850 तक भारत मे गुरुकुल की प्रथा चलती आ रही थी परन्तु मैकाले द्वारा अंग्रेजी शिक्षा के संक्रमण के कारण भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था का अंत हुआ और भारत मे कई गुरुकुल तोड़े गये और उनके स्थान पर कान्वेट और पब्लिक स्कूल खोले गये |
650 _aवैदिक शिक्षा
650 _aशिक्षा नीति
650 _aशिक्षा आयोग
650 _aशिक्षा व्यवस्था
942 _cBK
999 _c11410
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