000 | 02569nam a22001577a 4500 | ||
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005 | 20240624144912.0 | ||
008 | 240624b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9789383963782 | ||
082 |
_a233-265.34 _bति 52 गी |
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100 | _a तिलक, बाल गंगाधर | ||
245 | _aगीता रहस्य (Geeta Rahasya) | ||
260 |
_aनई दिल्ली _bप्रशांत बुक डिस्ट्रीब्युटर _c2023 |
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300 | _a544p. | ||
500 | _aगीता रहस्य भगवान श्री कृष्ण के निष्काम कर्मयोग के विशाल उपवन से चुने हुए आध्यात्मिक सत्यों के सुन्दर गुणों का एक गुच्छा है। इस गुच्छे की व्याख्या विभिन्न महापुरुषों द्वारा समय-समय पर की गई है किंतु इसकी जितनी सरल और स्पष्ट व्याख्या व्यावहारिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बाल गंगाधर तिलक ने की है शायद ही अभी तक किसी अन्य महापुरुष ने की हो। इस ग्रंथ की रचना उन्होंने जेल में की थी। उन्होंने इस ग्रंथ के माध्यम से बताया कि गीता चिन्तन उन लोगों के लिए नहीं है जो स्वार्थपूर्ण सांसारिक जीवन बिताने के बाद अवकाश के समय खाली बैठ कर पुस्तक पढ़ने लगते हैं और न यह संसारी लोगों के लिए कोई प्रारंभिक शिक्षा है। इसमें यह दार्शनिकता निहित है कि हमें मुक्ति की ओर दृष्टि रखते हुए सांसारिक कर्तव्य कैसे करने चाहिए। इस ग्रंथ में उन्होंने मनुष्य को उसके संसार में वास्तविक कर्तव्यों का बोध कराया है। | ||
942 | _cBK | ||
999 |
_c11600 _d11600 |