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जाट, बी. सी.

भू-आकृति विज्ञान - जयपुर रावत पब्लिकेशन्स 2019 - xviii, 376p.

भू- आकृति विज्ञान सर्वथा एक नवीन विषय है जिसमे पृथ्वी तल के विवरण के साथ ही स्थलरूपों की उत्पति, विकास एवं परिवर्तनशील स्वरुप तथा इनके परस्पर अंत: किर्यात्मक संबंधो को बनाये रखने वाले भ्वाकृतिक प्रकर्मो का विभिन्न भोगोलिक कारको की नियंत्रणकारी भूमिका के संदर्भ मे अध्ययन किया जाता है | प्रस्तुत पुस्तक मे विश्वविधालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धरित दिशा-निर्देशों के अनुरूप इस विषय की पाठ्यचर्या प्रस्तुत की गयी है जिसमे भूतल पर सम्पन विभिन्न भ्वाकृतिक क्रियाओ की सक्रियता एवं तद्जनित भू- आकारों की भोगोलिक व्याख्या प्रमुख है |
इसके अतिरिक्त, भू-आकृतिक विज्ञान की उत्त संकल्पना को स्पष्ट करते हुए इसको विषय सीमा मे निहित विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया गया है | साथ, ही पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास को इस पर हुए परिवर्तन के साथ स्पष्ट किया गया है | इसमें महाद्वीपय विस्थापन, सागर नितल प्रसरण, प्लेट विवर्तनिकी, भूसंचालन आदि विषयों का समावेश कर अधतन स्वरुप प्रदान किया गया है| अनाच्छादन एवं सम्बन्ध प्र्कर्मो से निर्मित भू- आकारों, पर्वत निर्माण तथा अपरदन चक्र की भी सटीक व्याख्या की गयी है| भू-आक्रति विज्ञान के वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे मानव हित मे उपयोग की व्यावहारिक भू- आकृति विज्ञान विषय मे विवेचना की गयी है |

9788170338758


भू-संचलन
जलीय चक्र
अपरदन चक्र
अनाच्छादन एवं अप्श्रय

551.4 / जा 35 भू
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