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सिंह, सुधा

आधुनिक भाषा की रूपरेखा - नई दिल्ली शिवांक प्रकाशन 2022 - vi, 184p.

वस्तुतः जितने व्यक्ति है, उतनी भाषाएँ है, कारण यह है कि किन्ही दो व्यक्तियों के बोलने का ढंग एक नही होता | इसका प्रमाण यह है कि अन्धकार मे भी किसी की वाणी सुनकर हम उसे पहचान लेते है| यह अंतर केवल बोलने के ढंग से ही नहीं, उच्चारण, शब्द भण्डार, यहा तक की वाक्या विन्यास मे भी देखा जाता है | भाषा के तीन रूप होते है वाणी, भाषा और अधिभाषाय अथार्त भाषा की स्थिति तीन प्रकार स संभव है -- व्यक्ति मे, समुदाय मे, और सामान्य अमूर्त रूप मे | सामान्य या अमूर्त रूप भाषा की वेह व्यापकता है जिस्म भेद का अवकाश नहीं है |

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