त्रिपाठी, त्रयम्बक नाथ
भाषा विज्ञान कोश - नई दिल्ली शिवांक प्रकाशन 2022 - 188p.
भाषा का विषय जितना सरस और मनोरम है, उतना ही गंभीर और कौतूहलजनक| भाषा मनुष्यकृत है अथवा इश्वरदत्ता उसका आविभार्व किसी काल विशेष मे हुआ, अथवा वह अनादि है| वेह क्रमश: विकसित होकर नाना रूपों मे परिणत हुई, अथवा आदि काल से ही अपने मुख्य रूप मे वर्तमान है| इन प्रश्नों का उत्तर अनेक प्रकार से दिया जाता है | कोई भाषा को इश्वार्दात्ता कहता है, कोई उसे मनुष्यकृत बतलाता है | कोई उसे क्रमशरू का परिणाम मानता है, और कोई उसके विषय मे यथा पूर्वमकल्पय का राग अलपता है|
9789387774100
हिंदी भाषा
आर्य भाषा
वाक्य विज्ञान
भक्तिकाल
81'1 / त्रि 78 भा
भाषा विज्ञान कोश - नई दिल्ली शिवांक प्रकाशन 2022 - 188p.
भाषा का विषय जितना सरस और मनोरम है, उतना ही गंभीर और कौतूहलजनक| भाषा मनुष्यकृत है अथवा इश्वरदत्ता उसका आविभार्व किसी काल विशेष मे हुआ, अथवा वह अनादि है| वेह क्रमश: विकसित होकर नाना रूपों मे परिणत हुई, अथवा आदि काल से ही अपने मुख्य रूप मे वर्तमान है| इन प्रश्नों का उत्तर अनेक प्रकार से दिया जाता है | कोई भाषा को इश्वार्दात्ता कहता है, कोई उसे मनुष्यकृत बतलाता है | कोई उसे क्रमशरू का परिणाम मानता है, और कोई उसके विषय मे यथा पूर्वमकल्पय का राग अलपता है|
9789387774100
हिंदी भाषा
आर्य भाषा
वाक्य विज्ञान
भक्तिकाल
81'1 / त्रि 78 भा