श्रीवास्तव, वीरेन्द्र कुमार
विश्व शान्ति के मसीहा : महात्मा गांधी (Vishav Shanti Ke Mashihaa : Mahatma Gandhi) - नई दिल्ली शिवांक प्रकाशन 2011 - 128p.
विश्यव शांति के मसीहा 'बापू' पर यघपि भुत सी पुस्तके प्रकाशित हुई है, लेकिन इन पुस्तकों मे या तो बापू की स्तुतिवंदना की गयी है या फिर बापू की आलोचना| कुछ विद्धानो लेखको ने बापू को कलयुग का अवतार खुच न पैगम्बर तो कुछ ने त्रिकाल दर्शी बना दिया जबकि कुछ विद्धानो ने उन्हें स्वपन दृष्टा, स्व्प्नलोकीय, अव्यवहारिक, तथा प्र्तिकिर्यवादी तथा कुछ विद्धानो ने बापू को पूंजीवाद का समर्थक दक्षिणनन्थी, तथा कुछ द्कियासुनी बताने की चेष्टा की है, लेकिन बापू के प्रति दोनों ही पक्ष बेहद अनुचित है | पुस्तक राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के आदर्शो, विचारो सिद्धांतो एवं विश्वशांति के प्रति लगाव रखने वाले पाठको के प्रति निश्चित उपयोगी सिद्ध होगी, एसा मेरा विशवास है|
9789380801278
82-342 / श्री 66 वि
विश्व शान्ति के मसीहा : महात्मा गांधी (Vishav Shanti Ke Mashihaa : Mahatma Gandhi) - नई दिल्ली शिवांक प्रकाशन 2011 - 128p.
विश्यव शांति के मसीहा 'बापू' पर यघपि भुत सी पुस्तके प्रकाशित हुई है, लेकिन इन पुस्तकों मे या तो बापू की स्तुतिवंदना की गयी है या फिर बापू की आलोचना| कुछ विद्धानो लेखको ने बापू को कलयुग का अवतार खुच न पैगम्बर तो कुछ ने त्रिकाल दर्शी बना दिया जबकि कुछ विद्धानो ने उन्हें स्वपन दृष्टा, स्व्प्नलोकीय, अव्यवहारिक, तथा प्र्तिकिर्यवादी तथा कुछ विद्धानो ने बापू को पूंजीवाद का समर्थक दक्षिणनन्थी, तथा कुछ द्कियासुनी बताने की चेष्टा की है, लेकिन बापू के प्रति दोनों ही पक्ष बेहद अनुचित है | पुस्तक राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के आदर्शो, विचारो सिद्धांतो एवं विश्वशांति के प्रति लगाव रखने वाले पाठको के प्रति निश्चित उपयोगी सिद्ध होगी, एसा मेरा विशवास है|
9789380801278
82-342 / श्री 66 वि