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प्रयोजनमूलक हिन्दी : सिद्धांत एवं प्रयोग

By: सिंह, विनम्र सेनMaterial type: TextTextPublication details: नई दिल्ली शिवांक प्रकाशन 2022Description: vi,164pISBN: 789387774087Subject(s): कार्हियलयीन हिंदी | प्रयोजनमूलक हिन्दी | हिन्दी भाषा- प्रयोगDDC classification: 811.214.21-13
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Books Books NIH Rorkee Library
811.214.21-13 सिं48प्र (Browse shelf (Opens below)) 1 Available 12302

प्रयोजनमूलक हिंदी के सन्दर्भ मे 'प्रयोजन' शब्द के साथ 'मूलक' उपसर्ग लगने से प्र्योज्नात्मक पद बना है | प्रयोजन से तात्पर्य है उद्देश्य अथवा प्युक्ति | 'मूलक' से तात्पर्य है आधारित | अंत: प्रयोजनमूलक भाषा से तात्पर्य हुआ किसी विशिष्ट उद्देश्य के अनुसार प्रयुक्त भाषा| इस तह प्रयोजनमूलक हिंदी से तात्पर्य हिंदी का वह प्र्युक्तिपरक विशिष्ट रूप या शेली है जो विषयगत तथा संदर्भगत प्रयोजन के लिए विशिष्ट भाषिक संरचना द्वारा पयुक्त की जाती है| विकार के प्रारंभिक चरण मे भाषा सामाजिक सम्पर्क का कार्य करती है | भाषा के इस रूप को संपर्क भाषा कहते है | संपर्क भाषा बहत नीर के समान है | प्रोढ़ा की अवस्था मे भाषा के वैचारिक संदर्भ परिपुष्ट होते है और भावात्मक अबिव्यक्ति कलात्मक को जाती है | भाषा के इन रूपों को दो नामो से अभिहित किया जाता है | प्रयोजनमूलक और आनन्दमूलक | आन्नंद विधायक भाषा साहित्यिक भाषा है |

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