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वन संरक्षण तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिए औषधीय पादप

By: संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठनContributor(s): बोडेकर, जेराई | भट्ट, के. के. एस | वान्टोमे, पॉलMaterial type: TextTextPublication details: नई दिल्ली दया पब्लिशिंग हाउस 2021Description: iv,135pISBN: 9789389719796Subject(s): वन संरक्षण | स्वास्थ्य रक्षा | औषधीय पादपDDC classification: 502.1:630:633.88
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विश्व खाघ संगठन के आंकलन के अनुसार विकासशील देशो के ८० प्रतिशत लोग परम्परागत दवाओ पर निर्भर है | आधुनिक दवाईयों मे भी २५ प्रतिशत दवाईया औषधीय पादपो से बनाई जाती है| औषधीय पादपो की मांग विकासशील तथा विकसित देशो मे बड रही है | ये पादप उगाए कम जाते है और वन भूमियो मे अधिक होते है | इसमें से कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा हो गया है |
इस पुस्तक मे औषधीय पादपो के खुच विशेषज्ञों के विचारो को समेकित करने का प्रयास किया गया है| इससे परम्परागत तथा आधुनिक चिकित्सा पध्तियो के पादपो के महत्व का पता चलता है, साथ ही पादपो के प्रबंधन, फसलीकरण, प्रक्रमण, वाणिज्यिक समस्यायों आदि के बारे मे जानकारी मिलती है | यह पुस्तक केवल वानिको के लिए ही नहीं वरन ग्रामीण विकास कार्यकर्ताओ, निति निर्धारको तथा परम्परागत औषधीय पर आश्रित रहने वाले के लिए उपयोगी सिद्ध होगी| इस पुस्तक से औषधीय पादपो के बारे मे जानकारी मिलेगी और उनके संरक्षण के महत्व को नये आयाम प्राप्त होंगे |
वर्तमान अध्ययन, परम्परागत विश्व व्यापी पद्धति तथा एफ. ए. औ. की पहल पर किया गया है इससे कई विशेषज्ञों के अनुभवों की सहमति किया गया है |

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