योग दर्शन एवं स्वास्थ्य
Material type: TextPublication details: नई दिल्ली शिवांक प्रकाशन 2022Description: 223pISBN: 9789383980581Subject(s): पंचकोश विज्ञान | भक्ति एवं कर्म योग | हठयोग | स्वास्थ्य विज्ञानDDC classification: 130.11YItem type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NIH Rorkee Library | 130.11Y श 33 यो (Browse shelf (Opens below)) | Available | 12353 |
योगदर्शन पुरष के स्वरूप के साथ इस्वर के अस्तित्तव को मिलाकर मनुष्य जीवन की आध्यात्मिकए मानसिक और शारीरिक उन्नति के लिए दर्शन का एक बड़ा व्यावहारिक और मनोवेज्ञानिक रूप योगदर्शन मे प्रस्तुत किया गया है | इसका प्रारंभ पंतजलि मुनि के योगसुत्रो से होता है | योगसुत्रो की सर्वोतम व्याख्या व्यास मुनि द्वारा लिखित व्यासभाष्य मे प्राप्त होती है | इसमे बताया गया है की किस प्रकार मनुष अपने मन याचित ) की वृतियो पर नियन्त्र रखकर जेवण मे सफल हो सकता है और अपने अंतिम लक्ष्य निर्वाण को प्राप्त कर सकता है |
योगदर्शन मे पुरष तत्व केंद्रीय विषय के रूप मे प्रस्तुत हुआ है | यघपि पुरष और प्रकृति दोनों की स्वतंत्र सत्ता मानी गयी है परन्तु त्तात्विक रूप मे पुरष की सत्ता ही सर्वोच्च है | पुरष के दो भेद कहे गये है | पुरष को चौत्न्य एवं अपरिणामी खा गया है, किन्तु आविश्य के कारण पुश जड़ एवं परिणाम चित्त मे स्वयं को आरोपित कर लेता है |
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