विशव के प्रमुख संविधान
Material type: TextPublication details: नई दिल्ली शिवांक प्रकाशन 2022Description: v, 416pISBN: 9789380801070Subject(s): भारतीय सविंधान | लोकतंत्र | सविंधानवादDDC classification: 342.4(100)Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NIH Rorkee Library | 342.4(100) स 16 वि (Browse shelf (Opens below)) | Available | 12370 |
संविधान शव्द का आशय कोई भी माना जाए किन्तु मूल वास्तु यह है कि किसी देश के सविंधान का पूर्ण अध्ययन केवल कुछ लिखित नियमो के अवलोकन के संभव नहीं | कारण, यह तो शासन प्रबंध सम्बन्धी अनुशासन का एक अंश मात्र होते है| संपूर्ण सवेंधानिक परिचय शासंनप्रबंधीय सब अंगो के अध्ययन से ही संभावित हो सकता है | उदाहरणाथ, बहुधा संविधान संविदा मे केवल शासन के मुख्य अंगो- कार्यपालिका, विधायिनी सभा, न्यायपालिका- का ही उल्लेख होता है | किन्तु इन संस्थाओ की रचना, पदाधिकारियों की नियुक्ति की रीती इत्यादि की व्याख्या साधारण विधि द्वारा ही निश्चित होती है | इसी प्रकार कई देशो मे निर्वाचन नियम, निर्वाचन श्रेत्र एवं प्रति श्रेत्र के सदस्यों की संख्या, शासकीय विभागों की रचना तथा न्यायपालिका का संगठन, इन सब महतवपूर्ण कार्यो को संविधान मे कहि व्याख्या नहीं होती यदि होती भी है तो भुत साधारण रूप, मुख्यतः इनका वर्णन तथा नियंत्रण साधारण विधि द्वारा ही होता है |
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