सामाजिक संरचना तथा स्तरीकरण (Samajik Sanrachana Tatha Starikaran)
Material type: TextPublication details: नई दिल्ली शिवांक प्रकाशन 2024Description: vi, 280pISBN: 9789383980666DDC classification: 316.3Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NIH Rorkee Library | 316.3 सिं48सा (Browse shelf (Opens below)) | Available | 12913 |
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माज मे सभी व्यक्ति एक से नही होते। उनमे अनेक जैविक और सामाजिक भेद होते है। ये भेद कमोबेश सभी समाजों मे देखने को मिलते है। आदिम समाज सरल होते है। उनमे सामाजिक और सांस्कृतिक भेद कम होते है। ऐसे समाजों मे व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और उसके कार्यों का निर्धारण प्रधानतया जैविक तत्वों जैसे-- आयु, लिंग, शारिरीक एवं मानसिक क्षमता के द्वारा ही होता है। इसके विपरीत आधुनिक समाज जटिल होता है। उसमे श्रम विभाजन विशेषीकरण पर आधारित होता है। व्यक्ति की समाज मे स्थिति जैविक तत्वों पर कम और सामाजिक भेदों पर अधिक निर्भर करती है। तकनीकी ज्ञान, शिक्षा, व्यवसाय, एवं आर्थिक स्थिति आधुनिक समाजों मे सामाजिक भेद के मुख्य आधार है। समाज मे विभेदीकरण की प्रक्रिया निरन्तर क्रियाशील होती है। समाज मे क्रिमिक एवं सतत भिन्नता का मुखर होना ही विकास हैं।
सामाजिक स्तरीकरण समाज का उच्चता व निम्नता पर आधारित क्षैतिज श्रेणियों मे विभाजन को स्पष्ट करता है।
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