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प्रस्तुत पुस्तक मे लेखक ने चिकित्सोप्योगी कतिपय योगो का अपनी चिकित्सा सुविधा की दृष्टि से संग्रह किया है | इसमें दिए गये योग स्वानुभूत हो सकते है क्योकि संग्रह ग्रंथो मे दिए गये मूल योग के पाठ से कई भिन्नता प्रतिथोती है. लेखक ने योग को जिस तरह बनाया होगा या किसी चिकित्सक ने प्रयोग करते हुए बनाया होगा उसी रूप मे यहाँ लिख दिया है | कहीं कहीं योग को स्पस्ट करने के लिए अनुवाद के समय पुस्तक क मूल पाठ लो भी यहाँ टिपण्णी मे दे दिया है. यह पुस्तक राजस्थानी, गुजराती मिश्रित भाषा मे लिखी गयी है, जिसका यहां सरल हिन्दिमै चिकित्सको के लिए अनुवाद किया है | इससे लेकख के ग्रंथ लिखने का मन्तव्य भी प्रकट को सकेगा |
मूल पुस्तक मे चूर्ण एवं अवलेहो का विशेष संग्रह है तथापित कुछ उपयोगी भस्म, अंजन तिलक, रजत, अभार्क आदि की निर्माण विधि, कुछ रस यथा वातपीडाहर रस, आनन्द भैरवरस आदि की भी निर्माण विधि एवं उपयोग बताया है| चूर्ण एवं पाक निर्माण विधि एवं उपयोग का मूल पाठ वैध योग चिन्तामणि से मिलते जुलते है |

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